न्यूयॉर्क: अमेरिका का राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जिसके पीछे हाथ-धोकर पड़ा हो, दुनिया का सबसे अमीर व्यक्ति एलन मस्क जिसका विरोध कर रहा हो, अगर फिर भी वो शख्स इलेक्शन में जबरदस्त जीत हासिल करे, तो यकीनन उसे इतिहास रचना ही कहा जाएगा। जोहरान ममदानी ने न्यूयॉर्क मेयर इलेक्शन जीतकर वाकई इतिहास रच दिया है। सिर्फ 34 साल के मुस्लिम उम्मीदवार जोहरान ममदानी को लेकर कहा जा रहा है कि उन्होंने अपने इलेक्शन कैम्पेन से युवा मतदाताओं को काफी ज्यादा उत्साहित किया है और यही वजह है कि इस बार के मेयर चुनाव में साल 1969 के बाद सबसे ज्यादा वोट डाले गये हैं।
जोहरान ममदानी का चुनाव अभियान पूरी तरह "न्यूयॉर्क को सस्ता और न्यायपूर्ण शहर" बनाने के वादे पर केंद्रित था। उनके एजेंडे ने काफी गहरा असर दिखाया और लगातार बढ़ते किराए, महंगाई और असमानता से जूझ रहे आम न्यूयॉर्कवासी उनके कैम्पेन से जुड़ते चले गये। जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप देशभर के डेमोक्रेटिक शहरों में नेशनल गार्ड और इमिग्रेशन एजेंट भेज रहे थे, तब ममदानी ने अपनी राजनीति को लोकतंत्र बनाम कुलीनतंत्र की लड़ाई के रूप में पेश किया। और यही वजह है कि साल 1969 के बाद पहली बार वोटर टर्नआउट 20 लाख पार कर गया।
जोहरान ममदानी ने कैसे जीता न्यूयॉर्क मेयर चुनाव?
जोहरान ममदानी का इलेक्शन कैम्पेन परंपरागत राजनीति से बिल्कुल अलग था और यही वजह है कि वो युवाओं, प्रवासियों और कामकाजी वर्ग के लोगों के आवाज बन गये। उनकी टीम ने डिजिटल प्लेटफॉर्म को मुख्य हथियार बनाया और सोशल मीडिया पर उनकी उपस्थिति को हर स्तर पर महसूस कराया। वे लगातार वीडियो पोस्ट करते रहे, कभी सड़क से तो कभी ट्रंप समर्थक मतदाताओं से सीधे संवाद करते हुए। इन वीडियोज में वे उर्दू, बंगला, अरबी और स्पेनिश जैसी कई भाषाओं में बोलते थे, जिससे उनका संदेश न्यूयॉर्क की बहुभाषी आबादी तक गहराई से पहुंचा। इसके अलावा उनकी सहज, विनम्र शैली और अपनी जड़ों पर गर्व दिखाने वाले रवैये ने युवाओं में एक नई राजनीतिक ऊर्जा पैदा की।
जोहरान ममदानी के प्रेस सचिव डोरा पेकेक ने कहा कि "हमने उन लोगों को भी राजनीति में शामिल किया है जो पहले इससे दूर थे।" इसके अलावा ममदानी ने शुरुआत में खुद को एक अंडरडॉग के रूप में पेश किया, एक ऐसे साधारण व्यक्ति के रूप में, जो बड़े कॉर्पोरेट हितों के खिलाफ खड़ा है। उनके प्रमुख प्रतिद्वंद्वी, पूर्व गवर्नर एंड्र्यू क्युओमो, को रियल एस्टेट और व्यापार जगत का भरपूर समर्थन मिला था, लेकिन ममदानी ने इस विरोध को ही अपनी ताकत बना लिया। उन्होंने अपने अभियान को "कामगार बनाम अरबपति" की लड़ाई के रूप में ढाल दिया। उनके समर्थन में टैक्सी चालकों, छात्रों, कलाकारों और छोटे व्यवसायियों की टीम थी। खासकर दक्षिण एशियाई मुसलमान ने थोक के भाव से उन्हें वोट किया। वो रात के वक्त एयरपोर्ट के बाहर टैक्सी ड्राइवर्स से बात करते थे, जो उनके पक्ष में गया।
न्यूयॉर्क मेयर इलेक्शन के लिए कैसे चलाया कैम्पेन?
अपनी शादी का जश्न मनाने के लिए युगांडा में छुट्टियां बिताने के बाद, ममदानी उस शहर में लौटे जहां मिडटाउन मैनहट्टन गोलीबारी में न्यूयॉर्क के पुलिस अधिकारी दीदारुल इस्लाम और तीन अन्य की मौत का शोक मनाया जा रहा था। उन्हें पुलिस की आलोचना करने वाले अपने वर्षों पुराने ट्वीट्स का सामना करना पड़ा, जिनमें उन्होंने पुलिस को नस्लवादी और दुष्ट बताया गया था और उन्हें वित्तीय सहायता देने की मांग की गई थी। इस्लाम के परिवार से मिलने के बाद उन्होंने पत्रकारों से कहा, "मैं पुलिस की फंडिंग नहीं कम कर रहा हूं। मैं पुलिस की फंडिंग कम करने की कोशिश नहीं कर रहा हूं।" यह उनके पुलिस विरोधी बयानबाजी से बिल्कुल अलग फैसला था।
इसके अलावा उन्होंने न्यूयॉर्क के यहूदी समुदाय से भी संपर्क किया, जो इजरायल सरकार की उनकी आलोचनाओं और लोकतांत्रिक समाजवाद पर सवालों से परेशान था। ममदानी फिलिस्तीनी अधिकारों के मुखर समर्थक के तौर पर आए, इजरायल के बहिष्कार का ऐलान किया और उन्होंने इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का खुलकर विरोध किया। चुनाव प्रचार के आखिरी दिनों में, ममदानी ने इस चुनाव को "कुलीनतंत्र और लोकतंत्र" के बीच चुनाव बताया। इसीलिए जब वोटिंग के दिन 5 लाख से ज्यादा न्यूयॉर्क के लोग सुबह-सुबह अपना वोट डालने निकले तो ममदानी हर चर्चा में मौजूद थे। वे सुबह के वक्त चर्च में थे, दोपहर में रेडियो कार्यक्रमों में शामिल हो रहे थे, फिर सुपर मार्केट जा रहे थे, प्रभावशाली लोगों के लाइव स्ट्रीम में शामिल हो रहे थे, यूनियन स्क्वायर फ्रीस्टाइल रैप बैटल में शामिल हो रहे थे। और इस तरह से उन्होंने इतिहास रच दिया है।
जोहरान ममदानी का चुनाव अभियान पूरी तरह "न्यूयॉर्क को सस्ता और न्यायपूर्ण शहर" बनाने के वादे पर केंद्रित था। उनके एजेंडे ने काफी गहरा असर दिखाया और लगातार बढ़ते किराए, महंगाई और असमानता से जूझ रहे आम न्यूयॉर्कवासी उनके कैम्पेन से जुड़ते चले गये। जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप देशभर के डेमोक्रेटिक शहरों में नेशनल गार्ड और इमिग्रेशन एजेंट भेज रहे थे, तब ममदानी ने अपनी राजनीति को लोकतंत्र बनाम कुलीनतंत्र की लड़ाई के रूप में पेश किया। और यही वजह है कि साल 1969 के बाद पहली बार वोटर टर्नआउट 20 लाख पार कर गया।
जोहरान ममदानी ने कैसे जीता न्यूयॉर्क मेयर चुनाव?
जोहरान ममदानी का इलेक्शन कैम्पेन परंपरागत राजनीति से बिल्कुल अलग था और यही वजह है कि वो युवाओं, प्रवासियों और कामकाजी वर्ग के लोगों के आवाज बन गये। उनकी टीम ने डिजिटल प्लेटफॉर्म को मुख्य हथियार बनाया और सोशल मीडिया पर उनकी उपस्थिति को हर स्तर पर महसूस कराया। वे लगातार वीडियो पोस्ट करते रहे, कभी सड़क से तो कभी ट्रंप समर्थक मतदाताओं से सीधे संवाद करते हुए। इन वीडियोज में वे उर्दू, बंगला, अरबी और स्पेनिश जैसी कई भाषाओं में बोलते थे, जिससे उनका संदेश न्यूयॉर्क की बहुभाषी आबादी तक गहराई से पहुंचा। इसके अलावा उनकी सहज, विनम्र शैली और अपनी जड़ों पर गर्व दिखाने वाले रवैये ने युवाओं में एक नई राजनीतिक ऊर्जा पैदा की।
🚨Breaking News — Zoharan Mamdani creates History, the son of Immigrants, becomes the first Indian Muslim American to win NY Mayor Race. Here’s one video how he captured the imagination of a diverse New York. pic.twitter.com/a00nzdLVEI
— Rohit Sharma 🇺🇸🇮🇳 (@DcWalaDesi) November 5, 2025
जोहरान ममदानी के प्रेस सचिव डोरा पेकेक ने कहा कि "हमने उन लोगों को भी राजनीति में शामिल किया है जो पहले इससे दूर थे।" इसके अलावा ममदानी ने शुरुआत में खुद को एक अंडरडॉग के रूप में पेश किया, एक ऐसे साधारण व्यक्ति के रूप में, जो बड़े कॉर्पोरेट हितों के खिलाफ खड़ा है। उनके प्रमुख प्रतिद्वंद्वी, पूर्व गवर्नर एंड्र्यू क्युओमो, को रियल एस्टेट और व्यापार जगत का भरपूर समर्थन मिला था, लेकिन ममदानी ने इस विरोध को ही अपनी ताकत बना लिया। उन्होंने अपने अभियान को "कामगार बनाम अरबपति" की लड़ाई के रूप में ढाल दिया। उनके समर्थन में टैक्सी चालकों, छात्रों, कलाकारों और छोटे व्यवसायियों की टीम थी। खासकर दक्षिण एशियाई मुसलमान ने थोक के भाव से उन्हें वोट किया। वो रात के वक्त एयरपोर्ट के बाहर टैक्सी ड्राइवर्स से बात करते थे, जो उनके पक्ष में गया।
न्यूयॉर्क मेयर इलेक्शन के लिए कैसे चलाया कैम्पेन?
अपनी शादी का जश्न मनाने के लिए युगांडा में छुट्टियां बिताने के बाद, ममदानी उस शहर में लौटे जहां मिडटाउन मैनहट्टन गोलीबारी में न्यूयॉर्क के पुलिस अधिकारी दीदारुल इस्लाम और तीन अन्य की मौत का शोक मनाया जा रहा था। उन्हें पुलिस की आलोचना करने वाले अपने वर्षों पुराने ट्वीट्स का सामना करना पड़ा, जिनमें उन्होंने पुलिस को नस्लवादी और दुष्ट बताया गया था और उन्हें वित्तीय सहायता देने की मांग की गई थी। इस्लाम के परिवार से मिलने के बाद उन्होंने पत्रकारों से कहा, "मैं पुलिस की फंडिंग नहीं कम कर रहा हूं। मैं पुलिस की फंडिंग कम करने की कोशिश नहीं कर रहा हूं।" यह उनके पुलिस विरोधी बयानबाजी से बिल्कुल अलग फैसला था।
इसके अलावा उन्होंने न्यूयॉर्क के यहूदी समुदाय से भी संपर्क किया, जो इजरायल सरकार की उनकी आलोचनाओं और लोकतांत्रिक समाजवाद पर सवालों से परेशान था। ममदानी फिलिस्तीनी अधिकारों के मुखर समर्थक के तौर पर आए, इजरायल के बहिष्कार का ऐलान किया और उन्होंने इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का खुलकर विरोध किया। चुनाव प्रचार के आखिरी दिनों में, ममदानी ने इस चुनाव को "कुलीनतंत्र और लोकतंत्र" के बीच चुनाव बताया। इसीलिए जब वोटिंग के दिन 5 लाख से ज्यादा न्यूयॉर्क के लोग सुबह-सुबह अपना वोट डालने निकले तो ममदानी हर चर्चा में मौजूद थे। वे सुबह के वक्त चर्च में थे, दोपहर में रेडियो कार्यक्रमों में शामिल हो रहे थे, फिर सुपर मार्केट जा रहे थे, प्रभावशाली लोगों के लाइव स्ट्रीम में शामिल हो रहे थे, यूनियन स्क्वायर फ्रीस्टाइल रैप बैटल में शामिल हो रहे थे। और इस तरह से उन्होंने इतिहास रच दिया है।
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