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Property Right : शादी के बाद महिलाओं का पति और ससुराल की संपत्ति पर क्या अधिकार है? जानें कानूनी नियम

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Property Right : शादी के बाद महिलाओं का पति और ससुराल की संपत्ति पर क्या अधिकार है? जानें कानूनी नियम

News India Live, Digital Desk: Property Right : भारतीय कानूनों ने महिलाओं और पुरुषों को संपत्ति में बराबर अधिकार प्रदान किए हैं, लेकिन अक्सर इस विषय पर भ्रम की स्थिति बनी रहती है कि विवाह के बाद पत्नी का अपने पति या ससुराल की संपत्ति पर अधिकार कितना होता है। यह सवाल हर विवाहित महिला के लिए महत्वपूर्ण होता है। आइए समझते हैं इससे जुड़े कानूनी पहलुओं को:

भारत में संपत्ति के अधिकार से जुड़े मुख्य कानून हैं—भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम (Indian Succession Act), हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम (Hindu Succession Act), और मुस्लिम पर्सनल लॉ (Muslim Personal Law)। ये कानून यह स्पष्ट करते हैं कि विवाह मात्र से ही पत्नी को पति या ससुराल की संपत्ति पर अधिकार नहीं मिलता, बल्कि परिस्थितियों के आधार पर ये अधिकार तय होते हैं।

पति की संपत्ति पर पत्नी का अधिकार कब बनता है?
  • यदि पति ने स्वयं अपनी कमाई से संपत्ति अर्जित की है, तो पत्नी को उस संपत्ति पर कानूनी अधिकार नहीं होता।
  • पति की मृत्यु होने पर पत्नी का उस संपत्ति पर अधिकार स्वतः बन जाता है, जब तक पति ने कोई अलग वसीयत (Will) न बनाई हो। ऐसी स्थिति में संपत्ति का अधिकार उसी वसीयत के अनुसार होगा।
  • यदि संपत्ति पति-पत्नी दोनों ने मिलकर खरीदी है, तो दोनों का उस संपत्ति पर बराबर अधिकार होगा।

कानून के अनुसार, पत्नी को पति से अलग होने की स्थिति में भरण-पोषण के लिए गुजाराभत्ता का अधिकार प्राप्त है। हालांकि, अलग होने की स्थिति में वह पति की संपत्ति में कोई हिस्सा नहीं मांग सकती।

ससुराल की संपत्ति पर अधिकार कब मिलेगा?
  • हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा-8 के मुताबिक, पत्नी को अपने सास-ससुर या ससुराल की पैतृक संपत्ति में सीधा कोई कानूनी अधिकार नहीं है।
  • पति की मृत्यु होने पर पत्नी अपने पति के हिस्से की पैतृक संपत्ति पर अधिकार प्राप्त कर सकती है।

सुप्रीम कोर्ट ने “गुरुपद खंडप्पा मगदम बनाम हीराबाई खंडप्पा मगदम” (1978) मामले में स्पष्ट निर्णय दिया था कि शादी करने मात्र से ही पत्नी को पति या ससुराल की संपत्ति पर अधिकार नहीं मिलता। अगर पति या ससुराल वाले उसे हिस्सेदार नहीं बनाना चाहते, तो कानूनी रूप से उसका कोई अधिकार नहीं बनता।

यह जानकारी हर विवाहित महिला के लिए आवश्यक है ताकि वह अपने कानूनी अधिकारों को बेहतर तरीके से समझ सके।

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