ज्योतिष: भगवान शिव, जिन्हें पार्वती के पति शंकर, महादेव, भोलेनाथ और आदिनाथ के नाम से भी जाना जाता है, का एक और नाम त्रिपुरारी है। हिंदू धर्म में शिव को अनादि और अनंत माना गया है, जिसका अर्थ है कि उनका न तो कोई आरंभ है और न ही अंत। वे न जन्म लेते हैं और न ही मृत्यु को प्राप्त होते हैं, इसलिए उन्हें साक्षात ईश्वर माना जाता है।
भगवान शिव को कई नामों से पुकारा जाता है, जैसे भोलेनाथ और देवाधिदेव महादेव। उन्हें महाकाल और कालों के काल के रूप में भी जाना जाता है। माना जाता है कि शिव ने धरती पर जीवन के प्रचार का कार्य सबसे पहले किया, इसलिए उन्हें 'आदिदेव' कहा जाता है।
शास्त्रों में भगवान शिव का चरित्र कल्याणकारी बताया गया है। उनके दिव्य गुणों के कारण वे अनेक रूपों में पूजित हैं। शिव को मनुष्य के शरीर में प्राण का प्रतीक माना जाता है। जब किसी व्यक्ति में प्राण नहीं होते, तो उसे शव कहा जाता है। भगवान भोलेनाथ पंच देवों में सबसे महत्वपूर्ण माने जाते हैं।
त्रिपुरारी का नामकरण
भगवान शिव को त्रिपुरारी नाम से जानने के पीछे एक दिलचस्प कथा है। शिव पुराण के अनुसार, जब भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय ने दैत्यराज तारकासुर का वध किया, तब उसके तीन पुत्र तारकक्ष, विमलाकक्ष और विद्युन्माली ने अपने पिता की मृत्यु का बदला लेने का निर्णय लिया। उन्होंने कठोर तपस्या की और ब्रह्मा जी से अमरता का वरदान मांगा।
ब्रह्मा जी ने उन्हें यह वरदान देने में असमर्थता जताई, लेकिन उन्होंने तीन नगरों का निर्माण करने का वरदान दिया। इन नगरों के निर्माण के बाद, जब ये एक जगह आएंगे, तो जो देवता इन्हें एक ही बाण से नष्ट करेगा, वही उनकी मृत्यु का कारण बनेगा।
ब्रह्मा जी ने तीन नगरों का निर्माण किया: एक सोने का, एक चांदी का और एक लोहे का। इन नगरों के निर्माण के बाद, तीनों असुरों ने पृथ्वी पर अत्याचार करना शुरू कर दिया। देवताओं ने भगवान शिव से सहायता मांगी।
भगवान शिव ने त्रिपुरों को नष्ट करने का निर्णय लिया। भगवान विष्णु ने शिव के धनुष के लिए बाण बने और अग्नि देव ने बाण की नोक बनाई। भगवान शिव ने दिव्य रथ पर सवार होकर युद्ध स्थल पर पहुंचे और त्रिपुरों को एक ही बाण से नष्ट कर दिया। इस घटना के कारण भगवान शिव त्रिपुरारी के नाम से जाने जाते हैं।
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