मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग ने बुधवार को दमोह स्थित मिशन अस्पताल का लाइसेंस निलंबित कर दिया, जहां 'फर्जी' हृदय रोग विशेषज्ञ नरेंद्र यादव उर्फ नरेंद्र जॉन कैम ने मरीजों की अनधिकृत सर्जरी की थी। यादव को 8 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था, जब आरोप लगाया गया था कि उसकी देखरेख में सात लोगों की मौत हो गई थी। दमोह जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) मुकेश जैन ने कहा कि अस्पताल का लाइसेंस 31 मार्च, 2025 को समाप्त हो गया था और इसके प्रबंधन ने पिछले साल दिसंबर में नवीनीकरण के लिए आवेदन किया था।
उन्होंने कहा कि अस्पताल में कुछ कमियां पाए जाने के बाद नवीनीकरण के लिए आवेदन प्रबंधन को वापस कर दिया गया था। जैन ने कहा कि अस्पताल को कमियों को दूर करने के बाद सात दिनों के भीतर फिर से आवेदन करने के लिए कहा गया था। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, "अस्पताल निर्धारित समय के भीतर आवेदन फिर से जमा करने में विफल रहा। इसलिए, अगले आदेश तक मिशन अस्पताल का लाइसेंस निलंबित कर दिया गया है।"
फर्जी डॉक्टर मामला: क्या हुआ
नरेंद्र विक्रमादित्य यादव उर्फ डॉ एन जॉन कैम ने मरीजों को गुमराह करने के लिए यूनाइटेड किंगडम के एक प्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर जॉन कैम का रूप धारण किया। उसकी धोखाधड़ी और अस्पताल की घोर लापरवाही तब सामने आई जब 'फर्जी' कार्डियोलॉजिस्ट से इलाज करवाने के बाद सात मरीजों की मौत हो गई।
स्थानीय निवासी ने एनएचआरसी में शिकायत दर्ज कराई। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की एक टीम ने दमोह पहुंचकर मामले की जांच की। पुलिस ने दमोह जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) एमके जैन की शिकायत पर 6 अप्रैल को आरोपी डॉ. नरेंद्र जॉन कैम के खिलाफ एफआईआर दर्ज की।
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