बलिया जिले में गंगा नदी के किनारे एक अनोखी और यादगार शादी की घटना देखने को मिली। बक्सर जिले से आई बारात, जो बेयासी गांव जा रही थी, बाढ़ के कारण सड़कों पर जलभराव होने के चलते नाव के जरिए अपने गंतव्य की ओर बढ़ी।
स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि बाढ़ की वजह से सड़कें जलमग्न थीं और वाहन मार्ग अवरुद्ध हो गया था। ऐसे में बारातियों ने सुरक्षित और समय पर शादी समारोह में शामिल होने के लिए नाव का सहारा लिया। इस नाव यात्रा में दूल्हा, उसके परिवार और बाराती शामिल थे।
जब बारात नदी में नाव पर निकली, तो आसपास के ग्रामीण और लोग नदी के किनारे इकट्ठा हो गए। उन्होंने इस अनोखे दृश्य का आनंद लिया और बारात के पारंपरिक गीतों और ढोलक की थाप पर तालियों से स्वागत किया। यह दृश्य पूरे इलाके के लिए मनोरंजक और यादगार साबित हुआ।
स्थानीय प्रशासन ने भी नदी के किनारे सुरक्षा का इंतजाम किया। नाव यात्रा के दौरान किसी प्रकार की दुर्घटना से बचने के लिए स्थानीय नाविक और सुरक्षाकर्मी मौजूद रहे। उन्होंने बताया कि बाढ़ के इस मौसम में नाव यात्रा चुनौतीपूर्ण हो सकती है, लेकिन सभी बाराती सुरक्षित थे।
ग्रामीणों ने इस अनोखी बारात को देखकर खुशी जताई और कहा कि यह उनका जीवनकाल का एक यादगार अनुभव रहा। उन्होंने बताया कि नदी में बारात निकलना साधारण नहीं है और यह पूरी तरह से साहस और परंपरा का मेल था।
विशेषज्ञों का कहना है कि बाढ़ जैसे आपदा में भी लोगों की रचनात्मकता और पारंपरिक आयोजनों के प्रति उत्साह देखने योग्य है। यह घटना यह दिखाती है कि कठिन परिस्थितियों में भी लोग खुशियों और उत्सव को जीवित रखने का प्रयास करते हैं।
बारात के आयोजकों ने बताया कि नाव यात्रा के दौरान सभी सावधानियां बरती गईं और दूल्हा और बाराती सुरक्षित रूप से अपने गंतव्य तक पहुँचे। इस प्रकार, बाढ़ और प्राकृतिक कठिनाइयों के बावजूद विवाह समारोह सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।
इस अनोखी घटना ने बलिया जिले और आसपास के क्षेत्रों में चर्चा का विषय बना दिया है। ग्रामीणों और स्थानीय मीडिया ने इस बारात की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर साझा की, जो तेजी से वायरल हो रही हैं।
इस प्रकार, बलिया जिले में बाढ़ के बीच नाव से बारात निकलने की यह घटना यह साबित करती है कि कठिनाइयों के बावजूद परंपरा और उत्सव की भावना जीवित रहती है। यह न केवल दूल्हा और बारातियों के लिए बल्कि आसपास के ग्रामीणों के लिए भी एक यादगार अनुभव रहा।
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