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महिलाएं माथे के बीच में क्यों लगाती हैं बिंदी? यहां जानिए सांस्कृतिक, धार्मिक और वैज्ञानिक कारण

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क्या आपने कभी भारतीय महिलाओं के माथे पर बिंदी देखी है और सोचा है कि क्या यह छोटा सा निशान सिर्फ एक फैशन स्टेटमेंट है या इसके पीछे कोई गहरा अर्थ छिपा है? दरअसल, बिंदी भारतीय संस्कृति, धर्म और विज्ञान से जुड़ी हुई है। यह न केवल सौंदर्य बढ़ाता है बल्कि इसमें आध्यात्मिक, सामाजिक और स्वास्थ्य संबंधी लाभ भी छिपे हैं। आइये जानें कि बिंदी भारतीय परंपरा का महत्वपूर्ण हिस्सा क्यों और कैसे बन गई।

बिंदी का सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व

हिंदू धर्म में बिंदी को 'आज्ञा चक्र' यानी तीसरी आंख से जोड़ा जाता है, जो माथे के बीच में स्थित माना जाता है। इस चक्र को ज्ञान, अंतर्ज्ञान और आध्यात्मिक शक्ति का केंद्र माना जाता है। बिंदी लगाने से इस चक्र की ऊर्जा सक्रिय होती है, जिससे मन शांत और एकाग्र होता है।

विवाहित महिलाओं का प्रतीक

भारतीय समाज में लाल बिंदी विवाहित महिलाओं की पहचान है, जैसे पश्चिमी देशों में शादी की अंगूठी। इसे सुहाग का प्रतीक माना जाता है और इसका संबंध देवी लक्ष्मी और पार्वती से है। कुछ समाजों में कुंवारी लड़कियां काली या रंगीन बिंदी लगाती हैं, जबकि विवाहित महिलाएं लाल या सिंदूरी बिंदी लगाती हैं।

पूजा और अनुष्ठानों में भूमिका

बिंदी को 'तिलक' या 'टीका' के नाम से भी जाना जाता है, जो अनुष्ठानों में देवी-देवताओं को अर्पित किया जाता है। इसे शुभ माना जाता है और धार्मिक अनुष्ठानों, त्योहारों और मांगलिक कार्यों में इसका उपयोग किया जाता है।

बिंदी का वैज्ञानिक पक्ष: स्वास्थ्य लाभ

क्या आप जानते हैं कि बिंदी सिर्फ एक परंपरा ही नहीं बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है? आयुर्वेद और एक्यूप्रेशर के अनुसार माथे का मध्य भाग मस्तिष्क और तंत्रिकाओं से जुड़ा होता है।

सिरदर्द और तनाव से राहत

उस स्थान पर हल्का दबाव डालने से सिरदर्द और माइग्रेन से राहत मिलती है। यह मस्तिष्क की नसों को शांत करता है और तनाव को कम करने में मदद करता है।

एकाग्रता बढ़ाने में मदद करता है

आज्ञा चक्र पर दबाव डालने से मन शांत होता है और एकाग्रता में मदद मिलती है। यही कारण है कि साधना करते समय भी इसी स्थान पर तिलक लगाया जाता है।

साइनस और आंखों की रोशनी के लिए फायदेमंद

माथे के इस हिस्से पर बिंदी लगाने से साइनस की समस्या से राहत मिलती है। साथ ही आयुर्वेद के अनुसार यह आंखों की रोशनी बढ़ाने में भी सहायक है।

बिंदी: फैशन और आधुनिकता का एक चलन

आज बिंदी न केवल धार्मिक प्रतीक बन गई है, बल्कि एक स्टाइल स्टेटमेंट भी बन गई है। बॉलीवुड से लेकर अंतर्राष्ट्रीय फैशन रैंप तक, बिंदी ने अपनी एक अलग पहचान बनाई है।

रंगीन और डिजाइनर डॉट्स

आजकल बाजार में कई प्रकार की बिंदियां उपलब्ध हैं: स्टीकर वाली, स्वारोवस्की जड़ी हुई, धातु वाली, यहां तक कि एलईडी लाइट वाली भी प्रचलन में हैं। लड़कियां इसे अपने पहनावे से मैच करके पहनती हैं।

बिंदी से भी बनी वैश्विक पहचान

सेलेना गोमेज़, निकी मिनाज और कई अन्य अंतर्राष्ट्रीय हस्तियां तथा भारत में उषा उत्थुप, आशा भोसले जैसी प्रसिद्ध गायिकाओं ने भी बिंदी लगाकर इसे वैश्विक फैशन का हिस्सा बना दिया है। आज यह विश्व भर में भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देने का एक माध्यम बन गया है।

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