इंटरनेशनल क्रिकेट में रिकॉर्ड्स का बनना और टूटना आम बात है, लेकिन कुछ रिकॉर्ड्स ऐसे होते हैं जो इतिहास के सुनहरे पन्नों में अमर हो जाते हैं। ऐसा ही एक रिकॉर्ड साल 1956 में चेन्नई टेस्ट मैच में बना था, जब भारत के दिग्गज सलामी बल्लेबाज पंकज रॉय और वीनू मांकड़ ने न्यूजीलैंड के खिलाफ पहले विकेट के लिए 413 रनों की साझेदारी की थी। यह साझेदारी टेस्ट क्रिकेट में उस समय की सबसे बड़ी ओपनिंग पार्टनरशिप थी, जो 472 मिनट तक चली और क्रिकेट जगत में एक मिसाल बन गई।
52 साल तक अटूट रहा वर्ल्ड रिकॉर्डपंकज रॉय और वीनू मांकड़ का यह ऐतिहासिक रिकॉर्ड 52 साल तक कायम रहा। वर्ष 2008 में साउथ अफ्रीकी ओपनर नील मैकेंजी और ग्रीम स्मिथ ने बांग्लादेश के खिलाफ चटगांव टेस्ट में 415 रनों की साझेदारी कर इसे तोड़ा। हालांकि, भारतीय क्रिकेट के लिहाज से रॉय-मांकड़ की यह साझेदारी अब भी पहले विकेट के लिए भारत की सबसे बड़ी पार्टनरशिप है। भारत के लिए इस सूची में दूसरा स्थान वीरेंद्र सहवाग और राहुल द्रविड़ के नाम है, जिन्होंने 2006 में लाहौर टेस्ट में पाकिस्तान के खिलाफ 410 रन जोड़े थे।
फुटबॉलर से बने क्रिकेटर31 मई 1928 को कोलकाता में जन्मे पंकज रॉय का सपना शुरुआत में फुटबॉलर बनने का था। लेकिन एक चोट ने उनके जीवन की दिशा बदल दी। उन्होंने क्रिकेट की ओर रुख किया और जल्दी ही अपनी प्रतिभा से सभी को प्रभावित किया। उन्होंने 1946 में फर्स्ट क्लास क्रिकेट में डेब्यू करते ही शतक जड़ा और 1951 में इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू टेस्ट सीरीज़ में भारतीय टीम में जगह बनाई।
टेस्ट करियर में उतार-चढ़ावपंकज रॉय ने अपने टेस्ट करियर की शुरुआत धमाकेदार की थी। उन्होंने डेब्यू सीरीज़ में दो शतक जमाते हुए 387 रन बनाए। लेकिन 1952 के इंग्लैंड दौरे पर उनका प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा और वे सिर्फ 54 रन बना सके। विशेष रूप से वे पांच बार शून्य पर आउट हुए और हर बार इंग्लैंड के तेज गेंदबाज फ्रेड ट्रूमैन का शिकार बने। इसके बाद पंकज ने 1953 में वेस्टइंडीज दौरे पर वापसी की और चार टेस्ट मैचों में 383 रन बनाए। फिर 1955-56 की घरेलू सीरीज़ में न्यूजीलैंड के खिलाफ उन्होंने अपनी ऐतिहासिक 173 रनों की पारी खेली और वीनू मांकड़ के साथ मिलकर 413 रनों की रिकॉर्ड ओपनिंग साझेदारी की। हालांकि, उसके बाद उनके प्रदर्शन में गिरावट आई और अपने अंतिम 19 टेस्ट मैचों में वे एक भी शतक नहीं बना सके। उन्होंने अपना अंतिम टेस्ट दिसंबर 1960 में पाकिस्तान के खिलाफ मुंबई के ब्रेबोर्न स्टेडियम में खेला।
शानदार आंकड़े और योगदानपंकज रॉय ने अपने टेस्ट करियर में कुल 43 मैच खेले, जिनमें उन्होंने 32.56 की औसत से 2442 रन बनाए। उनके नाम 5 शतक और 9 अर्धशतक दर्ज हैं। वे टेस्ट क्रिकेट में 14 बार शून्य पर आउट हुए। साल 1959 में उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ एक टेस्ट मैच में भारतीय टीम की कप्तानी भी की। घरेलू क्रिकेट में उन्होंने बंगाल का प्रतिनिधित्व किया और 185 फर्स्ट क्लास मैचों में 42.38 की औसत से 11,868 रन बनाए, जिनमें 33 शतक और 50 अर्धशतक शामिल थे। उनका सर्वोच्च स्कोर नाबाद 202 रन रहा।
चयनकर्ता और सम्मानक्रिकेट से संन्यास लेने के बाद पंकज रॉय भारतीय टीम के चयनकर्ता बने। वे 1983 विश्व कप जीतने वाली भारतीय टीम के चयन में भी शामिल थे। साल 2000 में उन्हें कोलकाता का शेरिफ नियुक्त किया गया और भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया।
2001 में हुआ निधन4 फरवरी 2001 को पंकज रॉय का कोलकाता में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। उनका योगदान भारतीय क्रिकेट के इतिहास में अमिट है। उनके बेटे प्रणब रॉय और भतीजे अंबर रॉय ने भी भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया।
आज उनकी 97वीं जयंती पर पूरा क्रिकेट जगत उन्हें श्रद्धांजलि देता है और उनके योगदान को याद करता है। पंकज रॉय सिर्फ एक बल्लेबाज नहीं, बल्कि भारतीय क्रिकेट के प्रेरणास्रोत थे।
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