काठमांडू, 01 सितंबर (Udaipur Kiran) । नेपाल के प्रधानमंत्री की चीनी राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद चीन के विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान पर नेपाल में राजनीतिक भूचाल आ गया। अब इस बयान को लेकर संसद की अंतराष्ट्रीय संबंध समिति ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली से जवाब मांगा है।
चीन के राष्ट्रपति सी जिनपिंग से मुलाकात के बाद वहां के विदेश मंत्रालय की तरफ से बयान जारी कर नेपाल की ओर से ग्लोबल सिक्योरिटी इनिशिएटिव (जीएसआई) का समर्थन करने की बात उल्लेख की गई है। इसको लेकर नेपाल में राजनीतिक भूचाल आ गया है। सभी दलों ने इसका विरोध किया है।
संसद की अंतराष्ट्रीय संबंध समिति के सभापति राजकिशोर यादव ने कहा है कि प्रधानमंत्री ओली के चीन भ्रमण से लौटते ही इस विषय पर जवाब तलब किया गया है। प्रधानमंत्री को संसदीय समिति में उपस्थित होकर इस विषय पर नेपाल सरकार की औपचारिक धारणा रखने की मांग की है।
उन्होंने कहा कि जीएसआई चीन द्वारा शुरू किया गया एक सैन्य गठबंधन है। चीन की तरफ से जारी बयान में नेपाल के समर्थन क़ी बात देश की विदेश नीति के खिलाफ है। संसदीय समिति के अध्यक्ष ने कहा कि नेपाल की संसद में सर्वसम्मति से यह स्वीकार किया गया है कि हम किसी भी देश की सुरक्षा या सैन्य रणनीति का अंग नहीं बन सकते हैं।
सोमवार को संसदीय समिति की बैठक के बाद अध्यक्ष राजकिशोर यादव ने कहा है कि चीन के बयान के बाद नेपाल सरकार खासकर प्रधानमंत्री से उनकी इस विषय पर स्पष्ट धारणा रखने के लिए उन्हें संसदीय समिति में स्वयं उपस्थित होकर जवाब देने को कहा गया है।
हालांकि प्रधानमंत्री के साथ इस समय चीन के भ्रमण पर रहे उनके आर्थिक सलाहकार डा युवराज खतिवड़ा ने स्पष्ट कर दिया है कि चीनी राष्ट्रपति के साथ मुलाकात के दौरान जीएसआई को लेकर किसी भी प्रकार की कोई बातचीत नहीं हुई है। खतिवड़ा ने साफ शब्दों में कहा कि चीन का बयान गलत और भ्रामक है।
प्रधानमंत्री के भ्रमण दल में सहभागी शिक्षा मंत्री रघुजी पंत ने भी कहा कि चीन का बयान एकतरफा है और इससे नेपाल का कोई संबंध नहीं है। उन्होंने दावा किया कि चीन की तरफ से आए बयान में कोई सच्चाई नहीं है।
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(Udaipur Kiran) / पंकज दास
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