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(अपडेट) कोई न्यायालय सबऑर्डिनेट नहीं, प्रचलित शब्दों में बदलाव जरूरी : उपराष्ट्रपति

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जयपुर, 27 अक्टूबर . उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि न्यायपालिका हमारे देश का महत्वपूर्ण अंग है, इसमें सबऑर्डिनेट शब्द की कोई जगह नहीं है. कोई भी न्यायालय सबऑर्डिनेट नहीं, इसमें बदलाव होना चाहिए. उन्होंने न्यायपालिका पर टिप्पणी करते हुए कहा कि जब मजिस्ट्रेट या जिला जज फैसला लिखता है उनके मन में शंका रहती है कि मेरे फैसले पर क्या टिप्पणी होगी. वह फैसला उसके भविष्य को निर्वहन करता है. हमें इनके लिए सहानुभूति रखनी चाहिए. उपराष्ट्रपति धनखड़ ने यह बात रविवार को दी बार एसोसिएशन जयपुर की ओर से आरआईसी में आयोजित ई-लाइब्रेरी एवं लॉयर्स डायरी-2025 के लोकार्पण कार्यक्रम में कहे.

उन्होंने कहा कि उद्योगपति एवं कॉरपाेरेट समूहों को न्यायालयों के कार्यान्वयन में भी सहायता करनी चाहिए. कॉरपाेरेट्स के पास सीएसआर फंड होता है जिसे उन्हें लोकल कोर्ट में निवेश करना चाहिए. देश के युवा वकीलों में भी निवेश जरूरी है. उन्होंने वकीलों से कहा कि भारत में डिजिटल लेन-देन अमरीका, ब्रिटेन, फ्रांस व जर्मनी से भी चार गुना है. ऐसे में वकील एआई, मशीन लर्निंग व ब्लॉकचैन का उपयोग कर समय बचाएं और न्याय की गुणवत्ता को बढ़ावा दें. बार और बैंच में मतभेद तो रहेंगे, पर दूरी नहीं होनी चाहिए.

उन्होंने कहा कि यदि हमें न्याय को सस्ता और सुलभ बनाना है तो लोगों को गुणवत्तापूर्ण न्याय देना होगा और इसके लिए हमें अपने जिला न्यायालयों, हमारे मजिस्ट्रेट, हमारे जिला न्यायाधीशों, हमारे युवा वकीलों पर प्रमुखता से ध्यान देना होगा. उन्होंने वकीलों को संसद भवन देखने का भी न्यौता दिया. कार्यक्रम के दौरान सीजे एमएम श्रीवास्तव ने जयपुर मेट्रो द्वितीय परिसर के नौ मंजिला भवन के लिए 10 करोड़ रुपए की लागत से एक्सलेटर बनाने की घोषणा की . फिलहाल इस परिसर में छह कोर्ट हैं, लेकिन वे कम पड़ रही हैं. कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति की पत्नी डॉ. सुदेश धनखड़, जस्टिस इन्द्रजीत सिंह, बीसीआर चेयरमैन भुवनेश शर्मा, दी बार एसोसिएशन जयपुर के अध्यक्ष पवन शर्मा व महासचिव राजकुमार शर्मा व हाईकोर्ट बार एसोसिएशन जयपुर के अध्यक्ष प्रहलाद शर्मा सहित अन्य न्यायिक अफसर व वकील मौजूद रहे.

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/ रोहित

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