बीजिंग, 08 अप्रैल . चीन ने अमेरिका की अतिरिक्त 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने की धमकी को गंभीरता से लिया है. चीन ने मंगलवार को सख्ती के साथ अमेरिका को चेताया है कि अगर टैरिफ की दर और बढ़ाई गईं तो अपने अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए माकूल जवाब दिया जाएगा.चीन का कहना है कि अमेरिका के तथाकथित पारस्परिक टैरिफ एकतरफा और धमकाने वाले हैं. इसलिए चीन के जवाबी टैरिफ वैध है, क्योंकि हर किसी को अपनी संप्रभुता और सुरक्षा करने का अधिकार है.
चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने चीनी वाणिज्य मंत्रालय के प्रवक्ता के हवाले से कहा कि चीन के खिलाफ अमेरिका ने अगर टैरिफ बढ़ाने की गलती की तो वह भी पीछे नहीं हटेगा. अमेरिका को अपनी ब्लैकमेल करने की प्रकृति पर रोक लगानी होगी. चीन कभी भी अमेरिका सामने नहीं झुकेगा. प्रवक्ता ने कहा कि व्यापार युद्ध में कोई विजेता नहीं होता. अमेरिका अपनी गलती माने और चीन के खिलाफ सभी एकतरफा टैरिफ उपायों को रद्द करे.
सीएनएन चैनल की खबर के अनुसार, जब कई देश ट्रंप के साथ टैरिफ डील करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, तब चीन उसके सामने पूरी ताकत से खड़ा है और उम्मीद कर रहा है कि वह संकट को अवसर में बदल देगा. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को फिर से टैरिफ बढ़ाने का संकल्प दोहराया तो बीजिंग ने एक बार फिर से अपनी बात पर कायम रहने की कसम खाई. उसके वाणिज्य मंत्रालय ने बयान में कहा कि चीन पर टैरिफ बढ़ाने की अमेरिकी धमकी का उस पर कोई असर नहीं पड़ता.
सत्तारूढ़ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र पीपुल्स डेली में रविवार को एक टिप्पणी में कहा गया कि अमेरिकी टैरिफ का चीन पर प्रभाव तो पड़ेगा, लेकिन आसमान नहीं गिरेगा. जितना अधिक दबाव हम पर पड़ेगा, हम उतने ही मजबूत बनेंगे. सनद रहे ट्रंप ने बुधवार को अमेरिका में आयातित सभी चीनी वस्तुओं पर अतिरिक्त 34 फीसद टैरिफ लगाने की घोषणा की थी. बीजिंग ने भी शुक्रवार को सभी अमेरिकी सामान के आयात पर 34 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की. साथ ही अन्य उपायों में दुर्लभ पृथ्वी खनिजों के निर्यात पर नियंत्रण और विशिष्ट अमेरिकी कंपनियों के व्यापार प्रतिबंध की घोषणा की.
इस बीच वाशिंगटन स्थित ब्रूकिंग्स इंस्टीट्यूशन थिंक टैंक के वरिष्ठ फेलो रयान हैस ने रविवार को चीन की यात्रा के दौरान सरकारी अधिकारियों, विद्वानों, व्यापार जगत के नेताओं के साथ बैठकों के बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ”कई (पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना) समकक्षों ने तर्क दिया है कि अमेरिका गलती कर रहा है जो उसकी खुद की वैश्विक स्थिति को कमजोर करेगी.”
चीन के विदेश मंत्रालय ने शनिवार को यहां तक कहा कि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और दूसरे सबसे बड़े उपभोक्ता बाजार के रूप में चीन बदलते अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य की परवाह नहीं करता. रेनमिन यूनिवर्सिटी ऑफ चाइना में चोंगयांग इंस्टीट्यूट फॉर फाइनेंस स्टडीज के वरिष्ठ शोधकर्ता लियू झिकिन का कहना है कि चीन ने दुनिया को एक महत्वपूर्ण संदेश भेजा है कि वह अमेरिकी धौंस को बर्दाश्त नहीं करेगा.
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/ मुकुंद
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