शिमला, 20 जुलाई (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की दिशा में सरकार ने ऐतिहासिक कदम उठाते हुए 500 प्राथमिक स्कूल, 100 उच्च विद्यालय, 200 वरिष्ठ माध्यमिक पाठशालाएं, 48 महाविद्यालय और 2 संस्कृत महाविद्यालयों सहित कुल 850 से अधिक शिक्षण संस्थानों को ‘स्कूल ऑफ एक्सीलेंस’ का दर्जा प्रदान किया है। इन स्कूलों को आधुनिक सुविधाओं, स्मार्ट क्लासरूम, प्रयोगशालाओं और पर्याप्त शिक्षकों से सुसज्जित किया जा रहा है, जिससे बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और सर्वांगीण विकास का अवसर मिल रहा है।
प्रदेश सरकार के प्रवक्ता के अनुसार मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व में शिक्षा को समाज के विकास की नींव मानते हुए बीते कुछ वर्षों में कई महत्वपूर्ण सुधार लागू किए गए हैं। स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं को सुदृढ़ करने के साथ-साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डेटा साइंस जैसे आधुनिक विषयों की पढ़ाई शुरू की जा रही है, ताकि विद्यार्थी भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार हो सकें।
प्रवक्ता ने कहा कि बच्चों की भाषा क्षमता मजबूत करने के लिए सरकारी स्कूलों में पहली कक्षा से ही अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाई शुरू की गई है। इसके सकारात्मक परिणाम भी सामने आए हैं। राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (एनएएस-2025) में हिमाचल ने देशभर में 5वां स्थान हासिल किया है, जबकि वर्ष 2021 में प्रदेश 21वें स्थान पर था। असर रिपोर्ट-2025 में भी प्रदेश के बच्चों की पढ़ने की क्षमता को देश में सर्वश्रेष्ठ आंका गया है।
प्रदेश के हर विधानसभा क्षेत्र में राजीव गांधी राजकीय मॉडल डे-बोर्डिंग स्कूल खोले जा रहे हैं। कांगड़ा और हमीरपुर जिलों में निर्माण कार्य प्रगति पर है। स्कूलों में स्मार्ट क्लास, पुस्तकालय, खेल मैदान जैसी सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा रही हैं। साथ ही स्कूल स्तर पर क्लस्टर सिस्टम लागू किया गया है, जिससे विद्यार्थी अब अच्छे संसाधनों का लाभ उठा रहे हैं।
प्रवक्ता ने कहा कि सरकार ने शिक्षकों को वैश्विक स्तर का प्रशिक्षण दिलाने के लिए सिंगापुर की प्रिंसिपल्स एकेडमी से समझौता किया है। सत्र 2024-25 में 334 शिक्षक और 50 मेधावी छात्र सिंगापुर भेजे गए। इसके अलावा 342 शिक्षक और छात्र देश के विभिन्न राज्यों में शैक्षणिक भ्रमण पर गए। मेधावी छात्रों को प्रोत्साहन देने के लिए 10वीं और 12वीं कक्षा के 10,500 से अधिक छात्रों को मुफ्त टैबलेट वितरित किए गए हैं।
उन्होंने कहा कि डॉ. वाईएस परमार विद्यार्थी ऋण योजना के तहत विद्यार्थी अब एक प्रतिशत ब्याज पर देश और विदेश में पढ़ाई के लिए 20 लाख तक का शिक्षा ऋण प्राप्त कर सकते हैं। तकनीकी संस्थानों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ड्रोन ऑपरेशन, मशीन लर्निंग और डेटा साइंस जैसे रोजगार उन्मुख पाठ्यक्रम भी शुरू किए गए हैं।
प्रवक्ता ने कहा कि स्कूलों में स्मार्ट क्लासरूम और ई-लर्निंग प्लेटफॉर्म तेजी से विकसित हो रहे हैं। शिक्षकों की उपस्थिति की निगरानी अब विद्या समीक्षा केंद्र के माध्यम से डिजिटल रूप से की जा रही है। प्रातःकालीन सभा में समाचार पाठन की शुरुआत भी विद्यार्थियों के सामान्य ज्ञान और आत्मविश्वास को बढ़ाने की दिशा में सराहनीय प्रयास है।
प्रवक्ता ने कहा कि प्रदेश के 15,000 से अधिक स्कूलों में 5.35 लाख बच्चों को पौष्टिक भोजन दिया जा रहा है, जिसके लिए 12.75 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया गया है।
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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा
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