जोधपुर, 18 अप्रैल . राजस्थान उच्च न्यायालय की न्यायाधीश डॉ. नूपुर भाटी ने बीमा दावे से संबंधित एक महत्वपूर्ण निर्णय में बीमाधारक की रिट याचिका स्वीकार करते हुए बीमा कंपनी को संशोधित दावा राशि चुकाने का आदेश दिया है. न्यायालय ने स्पष्ट किया कि बीमा पॉलिसी में डेप्रिसिएशन और ओल्ड स्टॉक के आधार पर कटौती का कोई प्रावधान नहीं है, अतः स्थायी लोक अदालत द्वारा की गई यह कटौती अनुचित है.
इस फैसले में हाईकोर्ट ने स्थायी लोक अदालत, जोधपुर महानगर के मूल निर्णय को आंशिक रूप से संशोधित करते हुए बीमा दावे की राशि को 19 लाख 68 हजसा 795 रुपये से बढ़ाकर 26 लाख 58 हजार 678 रुपये कर दिया. इसके साथ ही बीमा कंपनी को पांच हजार का हरजाना और 14 अगस्त 2024 से 8 प्रतिशत वार्षिक ब्याज अदा करने का भी निर्देश दिया गया है. मामले में बीमाधारक की ओर से अधिवक्ता अनिल भंडारी ने पैरवी करते हुए दलील दी कि बीमा कंपनी को नुकसान के लिए उत्तरदायी ठहराना उचित है, किंतु दावा राशि में की गई कटौती नीति के प्रावधानों के विरुद्ध है. उन्होंने यह भी तर्क दिया कि ओल्ड स्टॉक और डेप्रिसिएशन के नाम पर की गई कटौती का बीमा पॉलिसी में कोई उल्लेख नहीं है.
वहीं बीमा कंपनी, यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस, की ओर से यह दलील दी गई कि दुकानदार के दावे में जिस प्रकार का नुकसान हुआ है, वह बीमा पॉलिसी के तहत कवर नहीं होता और इसलिए स्थायी लोक अदालत के आदेश को खारिज किया जाना चाहिए. लेकिन न्यायाधीश डॉ. नूपुर भाटी ने बीमा कंपनी की रिट याचिका को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि बीमा पॉलिसी में कंपन या मशीनी उपकरण के कारण हुए नुकसान को भी कवर किया गया है और इस प्रकार बीमा कंपनी को दायित्व से मुक्त नहीं किया जा सकता.
/ सतीश
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