बलरामपुर, 13 मई . छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले में रेत माफिया के द्वारा आरक्षक की हत्या मामले में पुलिस ने दो संदेहियों को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है. पुलिस की पांच टीमें रेत माफिया को पकड़ने के लिए संभावित स्थानों में लगातार छापेमारी कर रही है. पुलिस पर भी कई आरोप लग रहे है. आरक्षक के हत्या के बाद सरगुजा आईजी ने बीते शाम सनवाल थाना प्रभारी को सस्पेंड कर दिया है.
उल्लेखनीय है कि, सोमवार तड़के सनवाल पुलिस की चार टीम बिना उच्च अधिकारियों को सूचित किए रेत माफिया को पकड़ने के लिए रवाना हुई थी. पुलिस को देख सभी रेत माफिया भागने लगे. इसी दौरान एक ट्रैक्टर रुकवाने की आरक्षक शिव बच्चन सिंह (43) ने कोशिश की. ट्रैक्टर चालक ने गाड़ी नहीं रोकी और आरक्षक को कुचलते हुए फरार हो गया. इस हादसे में आरक्षक की मौत हो गई. पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर की माने तो, मल्टीपल रीब फैक्टर और इंटरनल ब्लीडिंग के कारण आरक्षक की मौत हुई है. सोमवार दोपहर इस मामले में आखिरकार केस दर्ज कर ली गई है.बताया जा रहा है कि, बीते कई दिनों से रेत माफिया के द्वारा रेत तस्करी की जा रही थी. इसमें झारखंड के तस्कर सक्रिय थे. बीते शनिवार की शाम ग्रामीणों द्वारा रेत तस्करी का विरोध करने लगे तो सनावल पुलिस रेत तस्करी करते हुए तीन गाड़ियों को पकड़ा था. आरोप है कि तस्करों से कमीशन लेकर बाद में सभी गाड़ियों को छोड़ दिया गया.बीते दिनों लिबरा गांव के सरपंच, पंच और ग्रामीणों ने रेत खनन को लेकर सनावल थाना प्रभारी से लिखित में शिकायत की थी. जिसमें रेत माफिया रोहित यादव, विश्वकर्मा और शमशाद मोहम्मद शामिल है. उन्होंने आशंका भी जताई थी कि, रेत खदान स्थान पर कभी भी कुछ हादसा हो सकता है. रेत माफिया लगातार ग्रामीणों को जान से मारने की धमकी दे रहे है.इधर इन सब के बीच मृत आरक्षक शिव बच्चन सिंह के गृहग्राम धमनी में सोमवार शाम को गमगीन माहौल में अंतिम संस्कार किया गया. परिजनों का आरोप है कि इस हादसे की सूचना पुलिस विभाग ने नहीं दी. फॉरेस्ट विभाग में उनके परिजनों के द्वारा हादसे की सूचना मिली.इस मामले में बलरामपुर पुलिस अधीक्षक वैभव बेंकर ने आज मंगलवार को बताया कि, रेत माफियाओं को पकड़ने के लिए टीम लगाई गई है. पुलिस टीमों द्वारा लगातार छापेमारी की जा रही है. पुलिस ने दो संदेहियों को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है. प्रकरण में पुलिस की भूमिका की जांच की जा रही है. तीन गाड़ियों को पकड़ने के बाद छोड़ने का भी आरोप है, इसकी जांच की जा रही है कि गाड़ियों को किन परिस्थितियों में छोड़ी गई थी.
/ विष्णु पाण्डेय
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