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हर महिला को यह विश्वास होना चाहिए कि न्याय व्यवस्था उसके साथ है : न्यायमूर्ति सूर्यकांत

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राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के नवनिर्मित सभागार ‘स्पंदन’ का हुआ उद्घाटन

लखनऊ,02 नवम्बर (Udaipur Kiran) . Uttar Pradesh राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (UPSLSA) द्वारा sunday को न्यायिक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान (JTRI) लखनऊ में “कानूनी सहायता के माध्यम से प्रजनन स्वायत्तता में बाधाओं को दूर करना” विषय पर एक संवेदनशीलता कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस अवसर पर सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश एवं राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यपालक अध्यक्ष न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने लखनऊ स्थित Uttar Pradesh राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण कार्यालय के नव-निर्मित ऑडिटोरियम “स्पंदन”का उदघाटन किया. यह अत्याधुनिक सभागार प्रशिक्षण कार्यक्रमों, सम्मेलन एवं जन-जागरूकता अभियानों हेतु निर्मित किया गया है.

इस अवसर पर बोलते हुए न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि परिस्थितियाँ कैसी भी हों, प्रत्येक महिला यह आत्मविश्वास पाने की अधिकारी है कि न्याय व्यवस्था उसके साथ दृढ़ता से खड़ी है. उन्होंने Uttar Pradesh राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की उपलब्धियों की सराहना करते हुए एआई चैटबॉट “न्याय मार्ग”के शुभारंभ पर बधाई दी तथा कहा कि यह प्रयास लाभार्थियों और उनके अधिकारों के बीच की दूरी को पाटेगा. उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 39(A) में निहित राज्य के कर्तव्य की भी स्मृति दिलाई.

न्यायमूर्ति विक्रम नाथ ने डॉ. भीमराव अम्बेडकर द्वारा कही गई यह उक्ति उद्धृत की —“मैं किसी समुदाय की प्रगति को उसकी महिलाओं ने जितनी प्रगति प्राप्त की है, उससे मापता हूँ.”उन्होंने समाज में महिलाओं की स्थिति का उल्लेख किया तथा “संकल्प” कार्यक्रम जैसे प्रयासों की सराहना की, जो प्रजनन स्वायत्तता से जुड़े मुद्दों पर संवेदनशीलता को बढ़ावा देते हैं.

न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता ने सभी गणमान्य अतिथियों एवं प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए Uttar Pradesh राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की उपलब्धियों का उल्लेख किया तथा डिजिटल माध्यमों द्वारा विधिक सहायता को अधिक सुलभ एवं प्रभावी बनाने पर बल दिया.

न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी ने कहा कि बलात्कार पीड़िताओं, विशेषकर नाबालिगों, को न केवल हिंसा का आघात झेलना पड़ता है, बल्कि अनचाही गर्भावस्था, सामाजिक कलंक एवं भावनात्मक तनाव का बोझ भी उठाना पड़ता है. उन्होंने कहा कि न्याय केवल निर्णयों में ही नहीं, बल्कि उन संवेदनाओं में निहित है जिनसे हम असहाय अवस्था में हमारे पास आने वालों को संभालते हैं.

इसके उपरांत न्यायमूर्ति राजन रॉय ने उद्घाटन सत्र का औपचारिक धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया. तकनीकी सत्र की अध्यक्षता न्यायमूर्ति अजय भानोट ने की. कार्यक्रम में न्यायमूर्ति डी. के. उपाध्याय, मुख्य न्यायाधीश, दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई.

(Udaipur Kiran) / बृजनंदन

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