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कांग्रेस नेताओं ने धामी सरकार पर लगाए आरोप, कहा- जमीनों में हुआ खेल

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– केदारनाथ विधानसभा उप चुनाव से पहले कांग्रेस के दिग्गज नेता एकजुट, लगाए गंभीर आरोप

– करन माहरा बोले, जमीनों के मामले में धामी सरकार ने किया महापाप

देहरादून, 26 अक्टूबर . केदारनाथ उपचुनाव से पहले उत्तराखंड कांग्रेस के दिग्गज नेता एक मंच पर नजर आए. प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा से लेकर गणेश गोदियाल, यशपाल आर्य, हरक सिंह रावत, भुवन कापड़ी और मनोज रावत ने संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस कर भाजपा सरकार पर गंभीर आरोप लगाए. खासतौर पर प्रदेश में जमीनों को लेकर विपक्ष ने भाजपा सरकार पर बड़ा खेल करने का आरोप लगाया. कांग्रेस ने कहा कि पिछली त्रिवेंद्र सरकार ने जमीनों के मामले में पाप किया है तो धामी सरकार ने महापाप किया है.

राजधानी देहरादून में प्रदेश कांग्रेस कार्यालय राजीव भवन में शनिवार को मीडिया से बातचीत में पूर्व विधायक मनोज रावत ने कहा कि प्रदेश में भू-कानून को लेकर बड़े पैमाने पर आंदोलन हो रहे हैं. हाल ही में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अगस्त्यमुनि में कार्यक्रम में घोषणा की है कि वह बहुत सख्त भू-कानून लाने जा रहे हैं. इससे पहले भी मुख्यमंत्री ने 2022 में उच्च अधिकार समिति बनाई थी, लेकिन उत्तराखंड में जो प्रचलित भू कानून है उसकी दो धाराओं में बदलाव कर किसे फायदा पहुंचाया गया.

मनोज रावत ने कहा कि इन बदलाव के बाद उत्तराखंड की कितनी जमीन कितने लोगों को दी गई है, उसका खुलासा करेंगे. हरिद्वार और पौड़ी जिले का उन्होंने सर्वे किया है, जिसमें जमीनों का खेल सामने आया है. मसूरी के पास पार्क इस्टेट की 422 एकड़ जमीन थी. इसमें से पर्यटन विकास के लिए उत्तर प्रदेश ने पूर्व में अधिग्रहित की थी.

उत्तर प्रदेश के जमाने में समाजवादी पार्टी की सरकार में इस जमीन को एक कंपनी को देने पर विरोध हुआ था. पर्यटन सचिव कुर्वे ने 172 एकड़ पर्यटन की भूमि में से 142 एकड़ भूमि एक एडवेंचर स्पोर्ट्स कंपनी को एक करोड़ सालाना किराए पर 15 वर्ष के लिए दे दी है. उत्तराखंड सरकार ने खरबों की भूमि एक कंपनी को दी. वहां से हेलीकॉप्टर संचालन था. 15 वर्ष काम करने के बाद पर्यटन विभाग चाहेगा तो सबसे पहले इसी कंपनी को देगा. इससे पहले सरकार ने उस जमीन के रख—रखाव के लिए एडीबी से 23 करोड़ का कर्ज लिया. मनोज रावत ने आरोप लगाया कि सरकार की नजर अब केदारनाथ विधानसभा की चोपता की जमीनों पर है.

उन्होंने आरोप लगाया कि जिस कंपनी को काम दिया गया, उसकी शर्तें बदली गईं. इस वजह से राजस स्पोर्ट्स कंपनी को ठेका दिया गया. टेंडर डालने वाली तीन कंपनियां हैं, जिनका ऑफिस एक ही जगह है. उत्तराखंड सरकार वित्त अनुभाग के शासनादेश का उल्लंघन किया गया है. कंपनी ने सबसे पहले इस जमीन के आसपास रहने वालों के सभी रास्ते बंद कर दिए. इस जमीन से नियम विरुद्ध हेलीकॉप्टर संचालन हो रहा है. सरकार ने पिछले वर्ष केदारनाथ के लिए भी राजस एरो स्पोर्ट्स को काम देना चाहती थी, जो विरोध के बाद रुका था.

कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि 2018 के बाद भू-कानून में 11 परिवर्तन किए गए. उन्होंने कहा कि त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ये नियम जोड़ा था कि जमीन का प्रयोग नहीं किया जाएगा तो वह जमीन सरकार में निहित होगी. धामी सरकार ने 2022 में ये नियम हटा दिया. सदन में उस समय ये विधेयक लाए गए हैं, जब विपक्ष ने बहिष्कार किया है.

नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि उत्तराखंड के जल-जंगल-जमीन पर उत्तराखंड के जनमानस का अधिकार होना चाहिए. ये जमीनों का बड़ा घोटाला है. लैंड यूज बदल दिए गए. जनमानस का सरकार से भरोसा उठ गया है. सरकार इस मामले पर अपना रुख स्पष्ट करे.

उत्तराखंड के लोगों के साथ अन्याय कर रही सरकार : हरक सिंह

कांग्रेस नेता हरक सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखंड में पं. नारायण दत्त तिवारी सरकार ने सशक्त भू-कानून बनाया था, वह अपने आप में बहुत मजबूत था. मेरी अध्यक्षता में बनी मंत्रिमंडल की उप समिति ने सिफारिश की थी कि भू-कानून के लिए उत्तराखंड के मूल निवासियों के लिए राहत दी जाए, जो पिछली सरकार ने नहीं किया. आज फिर राज्य आंदोलन की भांति ही माहौल बन रहा है. प्रदेश सरकार उत्तराखंड के लोगों के साथ अन्याय कर रही है.

उत्तराखंड राज्य में बंदोबस्ती जरूरी : माहरा

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि 1961, 1962 के बाद से प्रदेश में बंदोबस्ती नहीं हुई, जो जल्दी किया जाए. कुमाऊं मंडल विकास निगम ने भी इसी कंपनी के साथ मिलकर हेली सेवा शुरू की है. लोगों की पुश्तैनी जमीनों को सरकार निहित कर रही है जिससे लोगों में भारी आक्रोश है. प्रदेश में 80 प्रतिशत से ज्यादा जमीनें बंजर पड़ी हैं. राजा भैया की जमीन सरकार में निहित करने वाले कल हमारी और आपकी बंजर जमीनें भी सरकार में निहित करेंगे.

उत्तराखंड में एक न्यायिक आयोग बने, मुख्यमंत्री धामी दें इस्तीफा : गणेश गोदियाल

कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने कहा कि उत्तराखंड सरकार बहती हुई नदी के पास बगुले भगत की तरह है. मुख्यमंत्री धामी ने मजबूत भू-कानून की बात की थी. अगर उन्हें लग रहा है कि गलत हो रहा है तो तत्काल अध्यादेश लाना चाहिए था, लेकिन सरकार ने सख्त कानून की घोषणा कर उन लोगों को अलर्ट किया है. उत्तराखंड में एक न्यायिक आयोग बने, जो आयोग गड़बड़ी करने वालों की जांच करे. उन्होंने मुख्यमंत्री धामी से इस्तीफे की भी मांग की.

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/ कमलेश्वर शरण

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