जम्मू, 18 अप्रैल . बच्चों और युवा वयस्कों के लिए जागरूकता बढ़ाने और सुरक्षित वातावरण को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, सरकारी डिग्री कॉलेज (जीडीसी) रामगढ़ ने बाल यौन शोषण सामग्री (सीएसएएम) के संवेदनशील और जरूरी मुद्दे पर केंद्रित एक वृत्तचित्र की विशेष स्क्रीनिंग का आयोजन किया. यह पहल राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के तत्वावधान में और कॉलेज की प्रिंसिपल प्रो. (डॉ.) मीरू अबरोल के नेतृत्व में आयोजित की गई थी.
इस वृत्तचित्र ने इस गंभीर अपराध के भावनात्मक, कानूनी और सामाजिक प्रभावों को उजागर करने के लिए वास्तविक जीवन की कहानियों, विशेषज्ञ साक्षात्कारों और कानून प्रवर्तन दृष्टिकोणों का उपयोग करते हुए सीएसएएम के जटिल मुद्दे पर एक अंतर्दृष्टिपूर्ण नज़र डाली. इसने उपस्थित लोगों को इस तरह की हानिकारक सामग्री के प्रसार को रोकने के महत्व के बारे में शिक्षित किया, साथ ही यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम जैसे प्रमुख कानूनों की भी व्याख्या की.
स्क्रीनिंग का उद्देश्य छात्रों में सहानुभूति पैदा करना, डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देना और उनके बीच एक जिम्मेदार ऑनलाइन उपस्थिति को प्रोत्साहित करना था. इसने इस बात पर जोर दिया कि युवा व्यक्ति सतर्क और सूचित डिजिटल नागरिक बनकर डिजिटल अपराधों का मुकाबला करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. इस कार्यक्रम का संचालन अंजलि देवी ने किया और इसमें डॉ. स्नोबर, प्रो. संदीप कुमारी, अशोक कुमार, प्रो. ब्रह्म दत्त, डॉ. शिवाली पंजगोत्रा, डॉ. नीरज बरगोत्रा, प्रिया शर्मा, डॉ. सुशील कुमार और सायमा सहित संकाय सदस्यों का पूरा सहयोग रहा.
अपने संबोधन में अंजलि ने ऑनलाइन सुरक्षा के महत्व और छात्रों को सीएसएएम के खतरों के बारे में शिक्षित करने पर जोर दिया. उन्होंने युवाओं को सतर्क रहने, ऑनलाइन शोषण के खिलाफ बोलने और किसी भी हानिकारक या अवैध सामग्री की रिपोर्ट विश्वसनीय वयस्कों या संबंधित अधिकारियों को करने के लिए प्रोत्साहित किया. इस पहल की डिजिटल स्पेस में बच्चों और युवा वयस्कों के अधिकारों और सुरक्षा की रक्षा के लिए इसके प्रभावशाली दृष्टिकोण और प्रतिबद्धता के लिए सराहना की गई.
/ राहुल शर्मा
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