जयपुर, 19 अप्रैल . राजस्थान हाईकोर्ट ने भरतपुर को बाढ़ से बचाने के लिए बनाए गई सिटी फ्लड कन्ट्रोल ड्रेन में हुए अतिक्रमण के मामले में जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता को 13 मई को व्यक्तिश: हाजिर होकर मौजूदा स्थल पर राजस्व मानचित्र को सुपर इंपोज करते हुए मानचित्र पेश करने को कहा है. अदालत ने कहा कि मामला साल 2019 से लंबित है और अदालत ने गत वर्ष राज्य सरकार से यह रिकॉर्ड मांगा था. इसके बावजूद अब तक अदालत को सुपर इंपोज मानचित्र की जानकारी नहीं दी गई है. अदालत ने स्पष्ट किया है कि यदि आगामी सुनवाई से तीन दिन पहले अदालत में रिकॉर्ड पेश कर दिया जाता है तो फिर मुख्य अभियंता को आने की जरूरत नहीं है. सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस आनंद शर्मा ने यह आदेश मामले में लिए गए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए.
गौरतलब है कि पूर्व में राज्य सरकार की ओर से अदालत को बताया गया था कि हाईकोर्ट ने सभी प्राकृतिक जल स्रोतों की साल 1947 और 1955 की स्थिति पुन: कायम करने के निर्देश दिए थे. इसकी पालना में भरतपुर की सीएफसीडी के किनारों पर 272 अतिक्रमण चिन्हित किया गए थे. प्रशासन इनमें से 171 से अधिक अतिक्रमणों को हटा चुका है. वहीं दूसरी ओर प्रभावितों की ओर से कहा गया था कि वे साल 1947 से पहले से इस जमीन पर काबिज हैं. अदालत ने मामले 21 नवंबर, 2024 को आदेश जारी करते हुए सीएफसीडी के मौजूदा स्थल पर राजस्व मानचित्र को सुपर इंपोज करते हुए मानचित्र पेश करने को कहा था.
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