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भारत और रूस का द्विपक्षीय व्यापार बढ़ाने पर जोर

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नई दिल्ली, 21 अगस्त (Udaipur Kiran) । विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने शुक्रवार को मास्को में अपने रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव के साथ बैठक की। इसमें दोनों देशों ने संतुलित और टिकाऊ तरीके से द्विपक्षीय व्यापार का विस्तार करने की अपनी साझा महत्वाकांक्षा की पुष्टि की। भारत की ओर से दवा, कृषि और वस्त्र क्षेत्र में निर्यात बढ़ाने को लेकर आवश्यकता पर बल दिया गया ताकि व्यापार असंतुलन सुधारा जा सके। दीर्घकालिक उर्वरक आपूर्ति, ऊर्जा सहयोग और भारतीय कुशल श्रमिकों को रूस में अवसर उपलब्ध कराने पर भी चर्चा हुई। इसके अलावा रूसी सेना में भारतीयों से जुड़े मुद्दे को भी जयंशंकर ने अपने समकक्ष के साथ उठाया।

बैठक के बाद दोनों नेताओं ने साझा पत्रकार वार्ता को संबोधित किया। इसमें विदेश मंत्री जयशंकर ने रूस और भारत के विशेष रिश्तों को दुनिया के सबसे स्थिर प्रमुख संबंधों में से एक बताया। जयशंकर ने कहा कि भू-राजनीतिक सामंजस्य, नेतृत्व का विश्वास और जनता का आपसी लगाव इन संबंधों का प्रमुख आधार है। विदेश मंत्री ने अपने समकक्ष को भारत आने का निमंत्रण भी दिया।

एक प्रश्न के उत्तर में विदेश मंत्री ने अमेरिका की ओर से रूस से तेल खरीद से जुड़े आरोपों पर आश्चर्य जताया। उन्होंने कहा कि भारत ने रूसी तेल खरीदकर वैश्विक ऊर्जा बाजार को स्थिरता प्रदान की है। ऐसा ही अनुरोध अमेरिका हमसे करता आया है। भारत अमेरिका से भी तेल खरीदता है और इसकी मात्रा में वृद्धि हुई है। दोनों देशों ने आतंकवाद पर संयुक्त रूप से लड़ने का संकल्प लिया। जयशंकर ने स्पष्ट किया कि भारत आतंकवाद के प्रति शून्य सहनशीलता की नीति अपनाएगा और अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा।

विदेश मंत्री ने कहा कि हमारी बैठक में भारत-रूस द्विपक्षीय संबंधों के संपूर्ण आयाम की व्यापक समीक्षा की गई। बैठक में द्विपक्षीय संबंधों की संपूर्ण समीक्षा, व्यापार सहयोग, रक्षा साझेदारी, कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट्स और वैश्विक चुनौतियों पर गहन चर्चा हुई। भारत के रूस को होने वाले निर्यात को बढ़ाने सहित, संतुलित और सतत तरीके से द्विपक्षीय व्यापार का विस्तार करने पर चर्चा हुई। इसके लिए गैर-शुल्क बाधाओं और नियामक बाधाओं को शीघ्रता से दूर करने आवश्यकता पर बल दिया गया।

वार्ता में कनेक्टिविटी के मोर्चे पर भी कई महत्वपूर्ण विषयों पर सहमति बनी। इसमें अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा, चेन्नई–व्लादिवोस्तोक समुद्री गलियारा और उत्तरी समुद्री मार्ग पर सहयोग शामिल है। विदेश मंत्री ने कहा कि ये पहल न केवल व्यापारिक समय को कम करेंगी बल्कि यूरेशिया और उससे आगे तक आर्थिक पहुँच बढ़ाएंगी।

रक्षा और तकनीकी सहयोग को लेकर विदेश मंत्री ने कहा कि रूस भारत के ‘मेक इन इंडिया’ अभियान को सहयोग दे रहा है, जिसमें संयुक्त उत्पादन और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, कज़ान और येकातेरिनबर्ग में नए भारतीय वाणिज्य दूतावास खोलने की प्रक्रिया को तेज करने पर सहमति बनी, जिससे व्यापार और जनसंपर्क और गहरे होंगे। जयशंकर ने रूस में भारतीय नागरिकों के सेना में सेवा करने के मुद्दे को भी उठाया। उन्होंने कहा कि कई लोग रिहा हो चुके हैं लेकिन कुछ मामले अब भी लंबित हैं, जिनका शीघ्र समाधान की अपेक्षा है।

वैश्विक और बहुपक्षीय स्तर पर दोनों देशों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया और जी20, ब्रिक्स तथा एससीओ में सहयोग को और मजबूत बनाने की प्रतिबद्धता जताई। विदेश मंत्री ने क्षेत्रीय मुद्दों जैसे यूक्रेन, पश्चिम एशिया और अफगानिस्तान पर भारत का पक्ष रखा और संवाद तथा कूटनीति को समाधान का आधार बताया।

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(Udaipur Kiran) / अनूप शर्मा

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