सपनों की उड़ान तब और खूबसूरत हो जाती है, जब वह मेहनत और समर्पण के पंखों पर सवार हो। बिहार के भागलपुर की कोमल कुमारी ने यही कर दिखाया। बिहार बोर्ड इंटरमीडिएट परीक्षा में कॉमर्स स्ट्रीम में जिला टॉपर बनकर कोमल ने न केवल अपने परिवार का नाम रोशन किया, बल्कि उन तमाम बेटियों के लिए मिसाल कायम की, जो विपरीत परिस्थितियों में भी हार नहीं मानतीं। उनकी कहानी सिर्फ 461 अंकों की नहीं, बल्कि एक माँ के अटूट विश्वास और बेटी की मेहनत की जीत है।
संघर्षों से भरा बचपन
कोमल की जिंदगी की शुरुआत आसान नहीं थी। जब वह मात्र चार साल की थीं, तब उनके पिता का निधन हो गया। परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी कमजोर थी कि उनकी माँ को गोपालपुर प्रखंड के लत्तीपाकर में पैतृक घर छोड़कर किराए के मकान में रहना पड़ा। जीविका चलाने के लिए कोमल की माँ ने घर-घर जाकर झाड़ू-पोछा करना शुरू किया। यह कोई आसान फैसला नहीं था। समाज की आलोचनाओं और आर्थिक तंगी के बीच उन्होंने अपने तीन बच्चों की परवरिश की जिम्मेदारी उठाई। कोमल की माँ कहती हैं, “पति के जाने के बाद सारी जिम्मेदारी मेरे कंधों पर थी। मैंने मजदूरी की, लेकिन बच्चों की पढ़ाई कभी रुकने नहीं दी।” यह बलिदान कोमल के लिए सबसे बड़ी प्रेरणा बना।
मेहनत का जुनून
कोमल ने अपनी माँ के संघर्ष को करीब से देखा था। वह जानती थीं कि उनकी माँ ने कितनी मुश्किलों का सामना किया है। समाज की बातें, जैसे “एक मजदूर की बेटी क्या कर सकती है,” कोमल के लिए चुनौती बन गईं। उन्होंने ठान लिया कि वह अपनी माँ के सपनों को सच करेंगी। दिन-रात पढ़ाई में डूबी कोमल ने कई रातें जागकर किताबों के साथ बिताईं। वह कहती हैं, “मेरी माँ मेरे लिए सबकुछ हैं। उनकी मेहनत को मैं कभी बेकार नहीं जाने देना चाहती थी।” उनकी लगन और मेहनत का नतीजा रहा कि उन्होंने बिहार बोर्ड की इंटरमीडिएट परीक्षा में 461 अंक हासिल कर जिले में टॉप किया।
एक प्रेरणा, हजारों सपनों के लिए
कोमल की सफलता सिर्फ एक परिवार की जीत नहीं, बल्कि उन तमाम बेटियों के लिए प्रेरणा है, जो आर्थिक तंगी या सामाजिक बंधनों के कारण अपने सपनों को दबा देती हैं। कोमल की कहानी यह सिखाती है कि मेहनत और विश्वास के सामने कोई बाधा टिक नहीं सकती। उनकी उपलब्धि ने भागलपुर के नवगछिया इंटर स्तरीय हाई स्कूल का भी मान बढ़ाया। कोमल की माँ की आंखों में अपनी बेटी की सफलता को देखकर गर्व और खुशी की चमक साफ झलकती है।
भविष्य के सपने
कोमल की नजर अब बड़े सपनों पर है। वह चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) बनना चाहती हैं और इसके लिए पहले से ही कड़ी मेहनत शुरू कर चुकी हैं। उनका सबसे बड़ा सपना अपनी माँ को आराम और सम्मान की जिंदगी देना है। कोमल कहती हैं, “मैं अपनी माँ को अब काम पर नहीं जाने दूंगी। मैं चाहती हूँ कि वह आराम करें और मैं उन्हें एक अच्छा घर दूं।” कोमल का यह आत्मविश्वास और जोश हर उस व्यक्ति को प्रेरित करता है, जो अपने लक्ष्यों को हासिल करना चाहता है।
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