उत्तराखंड के गातू मौलागांव मोटर मार्ग का सुधारीकरण और डामरीकरण, जो ग्रामीणों के लिए राहत लाने का वादा था, अब उनके लिए मुसीबत का कारण बन गया है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत करीब 12 करोड़ रुपये की लागत से चल रहे इस प्रोजेक्ट में कथित तौर पर भारी लापरवाही बरती जा रही है।
ग्रामीणों और वाहन चालकों का कहना है कि सड़क निर्माण में इस्तेमाल हो रहे घटिया सामग्री और ठेकेदार की लापरवाही ने उनकी रोजमर्रा की जिंदगी को और मुश्किल कर दिया है। विभाग की चुप्पी ने इस समस्या को और गंभीर बना दिया है।
ग्रामीणों का गुस्सा: घटिया सामग्री और लापरवाही का आरोप
स्थानीय समाजसेवी राजेश बहुगुणा ने निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उनका आरोप है कि सड़क निर्माण में जी3 पत्थरों की जगह सड़े हुए पत्थरों का इस्तेमाल किया जा रहा है, जो लंबे समय तक टिकाऊ नहीं होंगे। इसके अलावा, सड़क कटिंग के दौरान निकले पत्थर और मिट्टी को ठेकेदार ने हटाने की बजाय सड़क पर ही बिछा दिया है।
इससे सड़क की सतह ऊबड़-खाबड़ हो गई है, जिससे वाहनों को चलाना मुश्किल हो रहा है। सड़क के दोनों किनारों पर मलबा जमा होने से दूसरी गाड़ियों को साइड देना भी एक चुनौती बन गया है। ग्रामीणों का कहना है कि उनकी बार-बार शिकायतों के बावजूद न तो ठेकेदार और न ही विभाग ने कोई कदम उठाया है।
वाहन चालकों की मुश्किलें: दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ा
सड़क की खराब स्थिति ने वाहन चालकों के लिए खतरे को और बढ़ा दिया है। स्थानीय चालक अनिल, सुनील, चमन लाल और सुमन ने बताया कि सड़क पर बिखरे पत्थर और मिट्टी की वजह से उनकी गाड़ियां बार-बार खराब हो रही हैं। खासकर लोडेड ट्रक और भारी वाहनों को चढ़ाई पर मुश्किल हो रही है, क्योंकि सड़क की ढलान और पत्थरों की वजह से वे फंस जाते हैं।
दोपहिया वाहन चालकों के लिए भी यह सड़क किसी जाल से कम नहीं। आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं, जिससे आसपास के गांवों के लोग भी प्रभावित हो रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यह सड़क, जो उनकी जिंदगी को आसान बनाने वाली थी, अब उनके लिए सिरदर्द बन गई है।
विभाग को चेतावनी: जन आंदोलन की तैयारी
ग्रामीणों और समाजसेवियों का धैर्य अब जवाब दे रहा है। राजेश बहुगुणा, सुनील बहुगुणा, आर्यन और सौरव जैसे स्थानीय लोग विभाग को खुली चेतावनी दे चुके हैं। उनका कहना है कि अगर जल्द ही सड़क की स्थिति में सुधार नहीं किया गया, तो वे विभाग के खिलाफ जन आंदोलन शुरू करेंगे। ग्रामीणों का गुस्सा जायज है, क्योंकि यह सड़क उनके लिए रोजी-रोटी और आवागमन का मुख्य जरिया है। विभाग की उदासीनता ने उनके विश्वास को ठेस पहुंचाई है, और अब वे अपने हक के लिए लड़ने को तैयार हैं।
क्या है समाधान?
गातू मौलागांव मोटर मार्ग की समस्या कोई नई नहीं है। ग्रामीण इलाकों में सड़क निर्माण में लापरवाही की शिकायतें अक्सर सामने आती हैं। इस मामले में विभाग को तुरंत कदम उठाने की जरूरत है। सड़क पर जमा मलबे को हटाना, गुणवत्तापूर्ण सामग्री का इस्तेमाल करना और ठेकेदार की जवाबदेही सुनिश्चित करना पहला कदम हो सकता है। साथ ही, ग्रामीणों की शिकायतों को गंभीरता से सुनकर उनकी भागीदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए। यह सड़क सिर्फ एक प्रोजेक्ट नहीं, बल्कि हजारों लोगों की जिंदगी का आधार है।
You may also like
शादी के 7 दिन बाद ही दूल्हे ने कर लिया सुसाइड, दुल्हन ने किया मरने पर मजबूर… ⑅
65 साल का बुजुर्ग मस्जिद में 13 साल की बच्ची के साथ कर रहा था ऐसा काम, मचा बवाल ⑅
तीन युवक निकलते थे ट्रैक्टर लेकर, अन-बने मकानों के पास से गुजरते थे, करते थे कुछ ऐसा जानकर पुलिस के भी उड़ गए होश' ⑅
Afghanistan Earthquake:अफगानिस्तान में 5.8 तीव्रता का जोरदार भूकंप, पाकिस्तान और जम्मू-कश्मीर तक महसूस हुए झटके
केंद्र ने धार्मिक संस्थानों और पर्यटन सेवाओं के नाम पर हो रही ऑनलाइन धोखाधड़ी के बारे में जनता को सचेत किया